Google warning: AI और Deepfake के जाल में कैसे फंस रहे हैं लोग? जानिए बचाव के उपाय

Google warning: Google ने हाल ही में सभी इंटरनेट यूज़र्स को एक अहम चेतावनी जारी की है। Google की ट्रस्ट एंड सेफ्टी टीम ने बताया है कि साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और स्कैमर्स अब पहले से ज़्यादा चालाक और तकनीकी रूप से एडवांस हो चुके हैं। डिजिटल दुनिया में घुसपैठ बढ़ने के साथ-साथ ठगों के लिए लोगों को निशाना बनाना अब और आसान हो गया है। Google ने हाल ही में पांच ऐसे नए ऑनलाइन स्कैम ट्रेंड्स की जानकारी दी है जो इन दिनों सबसे ज़्यादा चलन में हैं और जिनसे लोगों को सतर्क रहना बेहद ज़रूरी है। इन घोटालों में लोगों को बड़े-बड़े ऑफर, इनाम और भावनात्मक अपील के ज़रिए फंसाया जा रहा है।
डीपफेक से फैलाई जा रही है धोखाधड़ी की नई लहर
सबसे खतरनाक और नया तरीका है डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल। स्कैमर्स अब जनरेटिव एआई की मदद से मशहूर हस्तियों के जैसे दिखने वाले वीडियो बना रहे हैं जो बिल्कुल असली लगते हैं। इन वीडियो में फेक इन्वेस्टमेंट स्कीम, इनाम या गिवअवे का लालच देकर लोगों से पैसे ऐंठे जाते हैं। साथ ही ऐसे डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया, ईमेल और मैसेज के ज़रिए तेजी से फैलाए जाते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग झांसे में आएं। Google ने कहा है कि ऐसे वीडियो में कभी-कभी चेहरे के हावभाव अजीब लग सकते हैं या आवाज़ में गड़बड़ी हो सकती है। ऐसे में यूज़र्स को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है और किसी भी तरह की अनरियलिस्टिक प्रोमोशन या ऑफर पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट और फर्जी ऐप से भी हो रही है ठगी
Google ने बताया कि आजकल साइबर ठग सबसे ज़्यादा धोखाधड़ी क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट के नाम पर कर रहे हैं। क्रिप्टोकरेंसी को एक हाई-वैल्यू डिजिटल एसेट माना जाता है और स्कैमर्स इसका फायदा उठाते हुए लोगों को असली से ज्यादा रिटर्न का लालच देते हैं। लोग इस चक्कर में फंसकर अपने पैसे गंवा देते हैं। इसके अलावा, कई बार यूज़र्स को फर्जी ऐप्स डाउनलोड करवाकर भी ठगा जा रहा है। स्कैमर्स बड़े ब्रांड्स की तरह दिखने वाली ऐप्स बना लेते हैं और फिर उनके ज़रिए यूज़र्स का निजी डेटा और बैंक जानकारी चुराते हैं। Google ने सलाह दी है कि कभी भी थर्ड पार्टी वेबसाइट्स से ऐप डाउनलोड न करें और किसी अनजान लिंक या यूआरएल पर क्लिक न करें।
लैंडिंग पेज क्लोकिंग और इवेंट्स के जरिए हो रही है स्मार्ट ठगी
एक और नया तरीका है लैंडिंग पेज क्लोकिंग। इसमें स्कैमर्स किसी असली वेबसाइट का क्लोन बनाकर यूज़र्स को रीडायरेक्ट कर देते हैं। यूज़र को लगता है कि वह किसी असली ई-कॉमर्स वेबसाइट पर है लेकिन जैसे ही वह अपने कार्ड डिटेल्स डालते हैं, डेटा स्कैमर्स के पास चला जाता है। ऐसे मामलों से बचने के लिए हमेशा यह जांचना जरूरी है कि वेबसाइट का यूआरएल https से शुरू हो रहा है या नहीं। इसके अलावा, स्कैमर्स अब बड़े आयोजनों और प्राकृतिक आपदाओं के समय भी सक्रिय हो जाते हैं। चुनाव, बाढ़, भूकंप या किसी सामाजिक आपदा के समय फर्जी चैरिटी स्कीम्स और डोनेशन कैंपेन चलाकर लोगों को ठगा जा रहा है। ऐसे में किसी भी दान या सहयोग से पहले संस्था की पुष्टि ज़रूर करें।